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Gugalwa: Difference between revisions

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Sunil Agarwal...
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पूर्व दिशा से गुगलवा चुरू जिले का पहला गाँव है | ये मध्यम आकर का गाँव है | [[सादुलपुर]],पिलानी और बहल से सड़क मार्ग से जुड़ा होने के कारण भी असुविधाओं को झेलता ये गोंव आज इतनीतरक्की नहीं कर पाया जितना ये उस का हकदार है | गुगलवा किरतान और बास ये तीन गांवों का समूह है जिनमे अधिकतर राजपूत और जाट समुदाय के लोग रहते हैं |भोगोलिक संरचना - ५०% घर ऊंचाई में बसे हैं जिस से बरसात का पानी पश्चिम वसे पूर्व की और बहता है , गाँव के बहार पूर्व दिशा में एक पोखर (कच्चा तालाब) है जिसमे बरसात का पानी भरा रहता है | बरसात सामान्य से कम ही रहती है इसलिए खेती की फसल सायद ही कभी अच्छी होती है , मगर मिटटी बहुत उपजाऊ है | पिछले कुछ सालों में अनेको कुए खोदे गए हैं जिनसे अब खेती की जाती है , और यही कारण है की पानी का स्तर दिन ब दिन नीचे जा रहा है | तीनो गोवो की लगभग १००० घरों की आबादी है मगर बुनियादी सुविधाओं का अकाल पड़ा है | एक भी पोस्ट ऑफिस या हस्पताल नहीं है ,इसके सिवा पानी,बिजली नाममात्र के हैं जो कभी कभी १० से १५ दिन तक नदारद रहते हैं |एक सरकारी स्कूल भी है जो जैसे तैसे चल रहा है मगर निजी स्कूलों ने सब सम्भाल रखा है | रोजगार के नाम पे खेती ही मुख्य साधन है बाकि कुछ लोग छोटा मोटा व्यपार करते है जैसे , दूध की डेयरी,दुकान,पशुपालन,मुर्गी फार्म,आटा चक्की आदि | और गावों की तरह मेरे गाँव में भी शराब का बोलबाला है दिन-ब-दिन पीने वालों की तादाद में इजाफा हो रहा है , आज कल १५ साल का बच्चा भी ये शोक रखता है | (to be continue... Vikram Shekhawat , Gugalwa)
मुझे लगता है गूगल ने अपना नाम मेरे गाँव से लिया है क्योंकि ये तो जाहिर है की मेरा गाँव कम से कम २०० साल पुराना तो है और इस से ये साबित होता है की मेरे गाँव का नाम गूगल से नहीं पड़ा. गूगल का जन्म 1995 में हुआ था और मेरे दादा जी का जन्म 1895 को उसी गाँव में गूगल से 100 साल पहले हुआ था. अगर आप गूगल को भोजपुरी (यूपी बिहारी )भाषा में Pronounce( उच्चारित )करें तो वो "गूगल वा" है , यानि कुछ न कुछ तो है मेरे गाँव के नाम में वरना ऐसे ही उसका नाम ये नहीं होता | मेने कुछ रिसर्च किया तो लगा की दोनों में कुछ समानता तो है जैसे :- १. गूगल को पूरी दुनिया जानती है - मेरे गाँव को कोई नहीं जानता २. गूगल के जन्म की सही तारीख का पता नहीं - मेरे गाँव का हाल भी कुछ ऐसा ही है ३.लोग गूगल पे दुनिया भर की जानकरी खोजते हैं - मेरे गाँव के लोग अपने ही गाँव में पानी,बिजली ,सड़के अस्पताल खोजते हैं जो कभी नहीं मिलते | ४. गूगल में हर चीज की जानकारी है - मेरे गाँव में किसी चीज की जानकारी नहीं | आप को मेरे गाँव की जानकारी गूगल (गूगल वा ) पर नहीं मिलेगी इसीलिए में कुछ जानकारी देना चाहता हूँ वैसे मेरे गाँव में कुछ धना सेठ भी है जो कभी कभी गाँव के कुएं या मंदिर की टूटी हुई दिवार ठीक करवा कर उसपे अपने नाम की प्लेट लटका देते हैं या कभी सरकारी स्कूल में कुछ टूट फूट ठीक करवा देते हैं और इसका ढिंढोरा पिटवाना कतई नहीं भूलते. एक धना सेठ पुराने गेट को तोड़कर नया गेट लगाते वक़्त उसपे अपना नाम जरुर लिखवा देता है | में एक बात बताना भूल ही गया , स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल का गाँव भी मेरे गाँव के पास में हैं और उस गाँव की हालत भी मेरे गाँव से अच्छी नहीं है | वैसे ये सब तो आज कल सभी गावों में होता है फिर में अपने गाँव को क्यों इसमें घसीट रहा हूँ ? वो इसीलिए क्योंकि बात मेरे गाँव और गूगल की चल रही है और दोनों आज के ज़माने में अपनी अपनीजगह पे जमे हुए हैं , बे-खोफ के-धडक .एक दुनिया को खोज रहा है और दूसरा अपने आप को दुनिया में खोज रहा है |कोई है इनकी टक्कर का ? (हो सकता है गूगल की नज़र मेरे गाँव पे पड़े और उसकी (मेरे गाँव) की किस्मत चमक जाये ) विक्रम शेखावत गुगलवा (बंगलोर)


[[Category:Villages in Churu district]]
[[Category:Villages in Churu district]]

Revision as of 04:41, 8 March 2014

Gugalwa
CountryIndia
StateRajasthan
DistrictChuru district

Gugalwa (Guglwa) is a small village in Rajasthan, Western India. It is served by Gugalwa Kirtan Halt Railway Station. There are two other villages, Kirtan and Bas Bhabrind, nearby.

Gugalwa is approx 23 km from Pilani and 7 km from Bahel (Haryana).

Sunil Agarwal...

पूर्व दिशा से गुगलवा चुरू जिले का पहला गाँव है | ये मध्यम आकर का गाँव है | सादुलपुर,पिलानी और बहल से सड़क मार्ग से जुड़ा होने के कारण भी असुविधाओं को झेलता ये गोंव आज इतनीतरक्की नहीं कर पाया जितना ये उस का हकदार है | गुगलवा किरतान और बास ये तीन गांवों का समूह है जिनमे अधिकतर राजपूत और जाट समुदाय के लोग रहते हैं |भोगोलिक संरचना - ५०% घर ऊंचाई में बसे हैं जिस से बरसात का पानी पश्चिम वसे पूर्व की और बहता है , गाँव के बहार पूर्व दिशा में एक पोखर (कच्चा तालाब) है जिसमे बरसात का पानी भरा रहता है | बरसात सामान्य से कम ही रहती है इसलिए खेती की फसल सायद ही कभी अच्छी होती है , मगर मिटटी बहुत उपजाऊ है | पिछले कुछ सालों में अनेको कुए खोदे गए हैं जिनसे अब खेती की जाती है , और यही कारण है की पानी का स्तर दिन ब दिन नीचे जा रहा है | तीनो गोवो की लगभग १००० घरों की आबादी है मगर बुनियादी सुविधाओं का अकाल पड़ा है | एक भी पोस्ट ऑफिस या हस्पताल नहीं है ,इसके सिवा पानी,बिजली नाममात्र के हैं जो कभी कभी १० से १५ दिन तक नदारद रहते हैं |एक सरकारी स्कूल भी है जो जैसे तैसे चल रहा है मगर निजी स्कूलों ने सब सम्भाल रखा है | रोजगार के नाम पे खेती ही मुख्य साधन है बाकि कुछ लोग छोटा मोटा व्यपार करते है जैसे , दूध की डेयरी,दुकान,पशुपालन,मुर्गी फार्म,आटा चक्की आदि | और गावों की तरह मेरे गाँव में भी शराब का बोलबाला है दिन-ब-दिन पीने वालों की तादाद में इजाफा हो रहा है , आज कल १५ साल का बच्चा भी ये शोक रखता है | (to be continue... Vikram Shekhawat , Gugalwa) मुझे लगता है गूगल ने अपना नाम मेरे गाँव से लिया है क्योंकि ये तो जाहिर है की मेरा गाँव कम से कम २०० साल पुराना तो है और इस से ये साबित होता है की मेरे गाँव का नाम गूगल से नहीं पड़ा. गूगल का जन्म 1995 में हुआ था और मेरे दादा जी का जन्म 1895 को उसी गाँव में गूगल से 100 साल पहले हुआ था. अगर आप गूगल को भोजपुरी (यूपी बिहारी )भाषा में Pronounce( उच्चारित )करें तो वो "गूगल वा" है , यानि कुछ न कुछ तो है मेरे गाँव के नाम में वरना ऐसे ही उसका नाम ये नहीं होता | मेने कुछ रिसर्च किया तो लगा की दोनों में कुछ समानता तो है जैसे :- १. गूगल को पूरी दुनिया जानती है - मेरे गाँव को कोई नहीं जानता २. गूगल के जन्म की सही तारीख का पता नहीं - मेरे गाँव का हाल भी कुछ ऐसा ही है ३.लोग गूगल पे दुनिया भर की जानकरी खोजते हैं - मेरे गाँव के लोग अपने ही गाँव में पानी,बिजली ,सड़के अस्पताल खोजते हैं जो कभी नहीं मिलते | ४. गूगल में हर चीज की जानकारी है - मेरे गाँव में किसी चीज की जानकारी नहीं | आप को मेरे गाँव की जानकारी गूगल (गूगल वा ) पर नहीं मिलेगी इसीलिए में कुछ जानकारी देना चाहता हूँ वैसे मेरे गाँव में कुछ धना सेठ भी है जो कभी कभी गाँव के कुएं या मंदिर की टूटी हुई दिवार ठीक करवा कर उसपे अपने नाम की प्लेट लटका देते हैं या कभी सरकारी स्कूल में कुछ टूट फूट ठीक करवा देते हैं और इसका ढिंढोरा पिटवाना कतई नहीं भूलते. एक धना सेठ पुराने गेट को तोड़कर नया गेट लगाते वक़्त उसपे अपना नाम जरुर लिखवा देता है | में एक बात बताना भूल ही गया , स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल का गाँव भी मेरे गाँव के पास में हैं और उस गाँव की हालत भी मेरे गाँव से अच्छी नहीं है | वैसे ये सब तो आज कल सभी गावों में होता है फिर में अपने गाँव को क्यों इसमें घसीट रहा हूँ ? वो इसीलिए क्योंकि बात मेरे गाँव और गूगल की चल रही है और दोनों आज के ज़माने में अपनी अपनीजगह पे जमे हुए हैं , बे-खोफ के-धडक .एक दुनिया को खोज रहा है और दूसरा अपने आप को दुनिया में खोज रहा है |कोई है इनकी टक्कर का ? (हो सकता है गूगल की नज़र मेरे गाँव पे पड़े और उसकी (मेरे गाँव) की किस्मत चमक जाये ) विक्रम शेखावत गुगलवा (बंगलोर)